मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध -450 शब्द
- प्रस्तावना
- मनोरंजन की आवश्यकता और उसका महत्त्व
- प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन
- आधुनिक काल मनोरंजन के साधन
- भारत में मनोरंजन के साधनों की स्तिथि
- उपसंहार जब भी में कोई काम कर के ऊब या थक जाता हूँ तो खुद को मनोरंजन की शरण में ले जाता हूँ, उसके बाद मेरा हर काम में मन है| मनुष्य को जीवन में कुछ चीज़े हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है और मेहनत के बाद थकान होना स्वाभाविक है| मेहनत के अलावा व्यक्ति को अपने करियर या पढाई की चिंता रहती है जिससे दूर करने के लिए वह मनोरंजन का सहारा लेते है| मनोरंजन से थके हुए मन को सुकून और सहारा मिलता है, एक नई स्फूर्ति मिलती है और कुछ पल के लिए व्यक्ति थकान एवं चिंता को भूल जाता है| आदिम काल से ही मनुष्य को मनोरंजन की जरुरत पड़ी है| जीवन संघर्ष से थका मानव ऐसा साधन ढूँढना चाहता है जिससे उसका तन-मन दोनों ही थकावट से दूर हो जाए और वह नई ऊर्जा से भर जाए| मनोरंजन के बिना किसी काम में उसका मन नहीं लगता है और न व्यक्ति को कार्य में सफलता मिलती है| ऐसे की आवश्कता जरुरी हो जाती है|
प्राचीन काल में न मनुष्य का इतना विकास हुआ और न मनोरंजन के साधनो का| वह प्रकृति और जानवरों के पास था| ऐसे में उसके मनोरंजन के साधन भी उन्हीं तक सीमित थे| वह तोता, मैना, तीतर, कुत्ता, भेड़, आदि पशु-पक्षी पालता था और मुर्गे, बकरे, भैंसे, आदि को लड़ाकर अपना मनोरंजन किया करते थे| वह शिकार करके भी मनोरनजन किया करते थे| इसके अलावा कुस्ती लड़कर, नाटक, नौटंकी, सर्कश आदि के माध्यम से मनोरंजन करते थे| त्योहार तथा अन्य आयोजनों के मौके पर वह गाने-बजाने तथा नाचने के द्वारा खुश था|
विकास एवं विज्ञान के विस्तार के कारणमनोरंजन भी बदला| लोग थिएटरों में भरपूर मनोरंजन करते है| सिनेमा आधुनिक काल का लोकप्रिय मनोरंजन का साधन है| यह आपकी पसंद है| वही स्मार्ट फ़ोन, टीवी ने मनोरंजन को नया वरदान दे दिया है, म्यूजिक प्लेयर्स, टेबलेट, कंप्यूटर भी कई वर्षो से मनोरंजन के मजे बढ़ा रहे है| जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार हो रहा है यहाँ मनोरंजन के तरीके और भी निखार के बहार आ रगे हैं, लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण ये साधन महँगे रहे है तथा इनकी उपलब्धता सीमित हो रही है| पहले मनोरंजन के साथ व्यायाम भी हो जाता था मगर पिछले कुछ वर्षो से लोग आराम से बैठ या लेटकर मनोरंजन का लुत्फ़ उठा रहे है जिससे उनका शरीर बेडोल हो रहे है| मनोरंजन मानव जीवन के लिए बेहद ज़रूरी है| हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए की मनोरनजन के चक्कर में हम इतने खो जाएँ की हमारे काम इससे प्रभावित होने लगे और हम आलसी बन जाएँ | हमें ऐसी स्तिथि से सदा बचना चाहि